Wednesday 3 February 2010

इस बेबाकी के लिए तो हिम्मत चाहिए...

कुछ समय से हिमाचल की शांत वादियों में सीडी-सीडी की भारी गूंज है। पहले केंद्रीय इस्पात मंत्री वीरभद्र सिंह की सीडी जारी हुई। कुछ दिन पहले दोबारा सियासी तीर चला और अज्ञात लोगों ने मीडिया समेत विभिन्न अधिकारियों को तीन सीडी भेज दीं।
इनमें मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और शिमला के सांसद वीरेंद्र कश्यप के होने का दावा किया गया। विपक्षी पार्टियों ने तो अपना 'विपक्ष धर्मÓ निभाते हुए आलोचना की लेकिन भाजपा के किसी भी नेता ने इस पर बेबाकी से टिप्पणी नहीं की।
लेकिन जब बात भाजपा के राष्टï्रीय उपाध्यक्ष शांता कुमार की हो तो वह अपने फैसलों और टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने साफ कहा कि सीडी बनती है तो उसका कोई तो आधार होता है। उन्होंने मामले की गहन जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी मांगी। इस टिप्पणी से शांता कुमार के व्यक्तित्व की झलक साफ दिखती है। १२ सितंबर १९३४ को जन्मे शांता कुमार अपने फैसलों के लिए हमेशा चर्चा में रहे हैं। १९७७ में प्रदेश में पहली बार नान-कांग्रेस सरकार का नेतृत्व करने वाले शांता कुमार को लोग 'पानी वाले मुख्यमंत्री के रूप में भी संबोधित करते रहे हैं। उन्होंने प्रदेशभर में हैंडपंप लगवाने की ऐसी मुहिम चलाई कि लोगों की बरसों पुरानी पेयजल समस्या खत्म हुई। उन्होंने समय-समय पर पंजाब पुनर्गठन के समय हुई हिमाचल के हितों की अनदेखी के खिलाफ भी आवाज उठाई। मुख्यमंत्री के रूप में दूसरी पारी के दौरान उन्होंने बिजली के निजी सेक्टर में उत्पादन पर खास ध्यान दिया, पर्यटन को उद्योग के रूप में विकसित करने की दिशा में ठोस पहल की। यह शांता कुमार ही थे जो केंद्र सरकार को इस मामले में राजी करने में सफल रहे कि प्रदेश में पैदा होने वाली बिजली में से प्रदेश को १२ फीसदी हिस्सा दिया जाए। जब केंद्र में काम करने का मौका मिला तब भी शांता कुमार नहीं चूके और खाद्य और ग्रामीण विकास मंत्री के रूप में महत्वाकांक्षी अंत्योदय अन्न योजना शुरू की। इसी प्रकार हरियाली और स्वजलधारा योजनाएं भी उन्हीं के कार्यकाल में शुरू हुईं, जिन्होंने खूब ख्याति बटोरी। उन्हीं के फैसलों में से एक था 'काम नहीं वेतन नहीं' नियम लागू करना। लेकिन यह कर्मचारियों को कहां रास आने वाला था।
इस परिदृश्य में शांता कुमार की टिप्पणी कि-सीडी बनती है तो उसका कोई तो आधार होता है ...इस बेबाकी के लिए कम हिम्मत नहीं चाहिए।

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