Tuesday 6 April 2010

लंबी रात


चौराहे पर
चमकता विशाल प्रकाशपुंज
करता है उजाला
लेकिन
मैं तो हूँ बेघर
फुटपाथ है बसेरा
रोशनी में मेरी
पीठ पर न बरस पड़े
कहीं 'खाकी' का डंडा
इसलिए
ढूंढता हूँ अँधेरा कोना
जहाँ
न कोई आये न  जाये
बस!
ये लंबी रात
सुकून से कट जाये.

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