Saturday 30 January 2010

मैं ये चाहूं

फूलों की तान में
भंवरे के गान में
महकता रहे सदा
बचपन मुस्कान से
मैं ये चाहूं।

मासूम की किलकारी में
आंगन की फुलवारी में
पड़ती रहें आशा की किरणें
बेरोकटोक
मैं ये चाहूं।

प्यार की बहार में
दो दिलों के इकरार में
रुकावट न आए कभी
मदमस्त उड़ान में
मैं ये चाहूं।

अधूरी न रह जाए
किसी की तमन्ना
खाली न हो
किसी दिल का कोना
मैं ये चाहूं।

कामयाबी के शिखर पर
मंगल या चांद पर
चौंधिया दे विश्व की आंखें
अपना इंडिया
मैं ये चाहूं।

दोस्ती की बिसात पर
अहसानों का हिसाब कर
भूले से भी न कभी
मन किसी का दुखाऊं
मैं ये चाहूं।

उनकी यादें उनकी बातें
जिन्होंने गुजार दी
मेरे ख्याल में रातें
गम न आए कभी
सदा रहें मुस्कुराते
मैं ये चाहूं।

जीवन के पथ पर
कुछ हो जाए हटकर
खुदा करना ऐसी मेहर
खताएं हो जाएं माफ
मैं ये चाहूं।

मैं तो हूं
रास्ते का कंकड़
हर कोई मारता था ठोकर
रात के अंधियारे से
सुबह के उजाले में
मिले कुछ पारस
उनके दिखाए पथ पर
चलता जाऊं जीवन की डगर
मैं ये चाहूं।

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